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Tuesday, December 11, 2012

Poem: Swami Vivekanand

जिनके ओजस्वी वचनों से, गूँज उठा था विश्व गगन |
वही प्रेरणा पुंज हमारे, स्वामी पूज्य विवेकानंद-2  ||

जिनके माथे गुरु कृपा थी, दैविक गुण आलोक भरा
अदभुत प्रज्ञा प्रकटी जग में , धन्य-धन्य यह पुण्य  धरा
सत्य सनातन परम ज्ञान का-2 , जो करते अभिनव चिंतन ।।1।।

                             वही प्रेरणा पुंज हमारे..............

जिन का फौलादी भुजबल था, हर संकट में सदा अटल
मर्यादित-तेजस्वी जीवन , सजग समर्पित था हर पल
हो निर्भय जो करे गर्जना-2, जिनके अंतस दिव्य अगन ।।2।।

                             वही प्रेरणा पुंज हमारे..............

जिनके रोम-रोम में करुणा, समरस जनजीवन की चाह
नष्ट कर सारे भेदों को, सेवा व्रत ही सच्ची  राह
दरिद्र भी नारायण जिनका-2, हर धड़कन में अपनापन ।।3।।

                             वही प्रेरणा पुंज हमारे..............

जिनके मन था स्वप्न महान, हो भारत का पुनरुत्थान
जीवन दीप जलाकर पाएं, गौरवमय  वैभव सम्मान
जगती में सब सुखद सुमंगल-2, बहे सुगन्धित मुक्त पवन ।।4।।

                             वही प्रेरणा पुंज हमारे..............

जिनके ओजस्वी वचनों से, गूँज उठा था विश्व गगन !
वही प्रेरणा पुंज हमारे, स्वामी पूज्य विवेकानंद !!